भोपाल. कमलनाथ सरकार प्रदेश के अतिथि विद्वानों को नई पहचान देने जा रही है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने विधानसभा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विद्वानों के नाम के आगे अतिथियों की जगह पर मेजबान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अपने वचनों पर प्रतिबद्ध कमलनाथ सरकार का मूल मंत्र अतिथि देवो भवः है। इसलिए अब 'अतिथि विद्वान' 'मेजबान' होंगे। मंत्री पटवारी ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अतिथियों को द्वार पर खड़ा रखा, घर में प्रवेश का कोई रास्ता नहीं दिया, बल्कि उन्हें उनका अधिकार नहीं देकर अपमानित किया गया। अब हमारे 'अतिथि विद्वान' 'मेजबान विद्वान' होंगे। मतलब अब वे गेस्ट नहीं होस्ट फैकल्टी होंगे।
अतिथि विद्वानों की दशा के लिए पिछली सरकार उत्तरदायी
पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के 15 वर्षों में कोई नियमित नियुक्ति नहीं की। अतिथि विद्वानों के लिए अस्थायी व्यवस्था रही तथा यूजीसी भी इस प्रकार की व्यवस्था लंबे समय तक रखने के पक्ष में नहीं है। यह विद्यार्थियों के हित में है कि कालेजों में नियमित शिक्षक पदस्थ हों। इसलिए हमने लोक सेवा आयोग से चयनित 3148 अभ्यर्थियों को पदस्थ करने का निर्णय लिया है। इनमें से लगभग 800 अतिथि विद्वान भी हैं।
अतिथि विद्वानों को हटाएंगे नहीं, नियमित करेंगे
पिछली सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण लगभग 4900 अतिथि विद्वानों के भविष्य को अंधकार में रखा गया और उनके नियमितिकरण की कोई प्रक्रिया नहीं की। इन्हें आगामी 3 वर्षों की परीक्षा में 20 अंकों का अधिभार तथा आयु-सीमा से छूट देने का निर्णय लिया गया है। इससे सभी पात्र लगभग 2000 अतिथि विद्वानों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होने में सहायता मिलेगी।
न निकालेंगे न ही नई भर्ती होगी
जीतू पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की मंशा के अनुसार हम एक भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं निकालेंगे। इसके लिए हमने एक नीति जारी कर दी है। नवीन नियुक्तियों के कारण बाहर जा रहे अतिथि विद्वानों को फिर से काम पर रखने के लिए च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 1 जनवरी, 2020 से वे च्वाईस फिलिंग भी कर सकेंगे। अतिथि विद्वानों से हमारी अपील है कि जहां विद्यार्थियों को आवश्यकता है, वहां अतिथि विद्वानों को जाना चाहिए। हमने निर्णय लिया है कि अब कोई भी नया अतिथि विद्वान नहीं रखा जाएगा, जो अभी काम कर रहा है उसे ही काम करने का अवसर मिलेगा।